जीवन जीने की कला

जीवन जीने की कला


जिस व्यक्ति को जीवन में सफल होना है, उसके लिए जीवन में एक बार प्रेम में असफल होना आवश्यक है । यह कथन सही है कि ‘प्रेम अंधा होता है’ हम स्वंय को काबू नहीं कर पाते इसलिए असफल होने पर स्वंय को काबू नहीं कर पाते । कुछ लोग असफल होने पर भावनाओं का मोल समझ लेते हैं और यह भी जान जाते हैं कि यह सब मिथ्या, व्यर्थ है । कुछ लोग प्रेम में पुनः पड़ते हैं और ऐसा आकर्षण के कारण से भी होता है, कुछ स्नेहवश प्रेम करते हैं, कुछ प्रेम को पाने की इच्छा से प्रेम करते हैं । बिना इच्छा से किया गया प्रेम ‘भक्ति’ है । 


Love is the highest form of devotion & marriage is highest kind of sacrific


‘जहां एक ओर प्रेम समर्पण है तो विवाह एक प्रकार से त्याग का पर्याय है।‘


हिंदू शास्त्रों, धर्मग्रन्थों इत्यादि में आठ प्रकार के विवाह का उल्लेख किया गया है । आज के आधुनिक समय में भी कई प्रकार के विवाह देखने को मिलते हैं । जैसे:- परंपरागत रीति - रिवाजो के साथ अग्नि के फेरे लेकर संपन्न किया जाने वाला विवाह । दूसरे प्रकार का विवाह जो सिख धर्म के लोगों द्वारा किया जाता है जिसमें लड़का - लड़की पवित्र पुस्तक ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ के फेरे लेते हैं । तीसरे प्रकार का विवाह ईसाई लोगों द्वारा चर्च में संपन्न होता है इत्यादि।