औरा क्या है ?
कई चित्रों पर लगे हुए श्री राम, गुरु नानक देव, जीसस क्राईस्ट इत्यादि के चित्रों में इनके पीछे एक चमकदार चक्र इन विभूतियों को देवी - देवता या ईश्वर के समकक्ष दर्शाने के लिए दिखाया/दर्शाया जाता है । इस चक्र के माध्यम से इन विभूतियों को साधारण व्यक्ति न होकर एक विशेष शक्ति तथा उर्जा का स्रोत दर्शाता है । यह चक्र उनमें एक विशेष शक्ति तथा उर्जा का स्रोत दर्शाता है । हिंदू पुराणों के अंर्तगत तीसरे नेत्र का विवरण है । यह तीसरा नेत्र हर मनुष्य के मस्तिष्क के मध्य में होता है । इसी नेत्र को मानकर मस्तिष्क के बीचों - बीच पुरुषों द्वारा चंदन का तिलक तथा विवाहित स्त्री द्वारा सिंदूर की बिंदी लगाए जाने का सामाजिक प्रचलन पूराने समय से ही चला आ रहा है । मुख्यतः हर जीवित चीज के पास एक शरीर तथा उस शरीर को उर्जा देने वाला, नेत्र द्वारा न देखे जा सकने वाला शरीर होता है । एक मृत/जिवित व्यक्ति में इस शरीर के होने या न होने का फर्क होता है शाब्दिक तौर पर इसे आत्मा भी कहा जाता है । हर मनुष्य के पूर्ण शरीर के साथ यह सूक्ष्म शरीर बढ़ता चला जाता है, इसी के द्वारा गर्भ से जन्में जाने के समय से लेकर मृत्यु के समय तक मनुष्य सुख - दुख, कष्ट, मान - अपमान, ज्ञान - भावना, क्रिया इत्यादि बातों से परिचित होते हुए समय को जीने करने का प्रयास करता है तथा जीवन का क्रम पूर्ण करने में शरीर रुपी मशीन/ साधन का इस्तेमाल करता है । वास्तव में सूक्ष्म शरीर का केन्द्र केवल नाभि न होकर पूरा शरीर ही है । शरीर को दिमाग तथा दिमाग को सूक्ष्म शरीर संचालित करता है ।